रेल यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ पोर्टल्स पर यह दावा किया जा रहा है कि भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट में 50% तक की छूट फिर से शुरू कर दी है। यह खबर उन लाखों वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत की सांस लेकर आई है, जो कोविड-19 महामारी के दौरान बंद की गई इस छूट के फिर से शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। क्या सच में रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को यह सौगात दी है?
आइए इस खबर की सच्चाई जानते हैं और देखते हैं कि IRCTC के नियमों में क्या बदलाव हुए हैं। इस लेख में, हम वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट में मिलने वाली छूट से जुड़ी सभी जानकारियों को विस्तार से जानेंगे। हम यह भी देखेंगे कि पहले यह छूट किन नियमों के तहत मिलती थी, इसे कब बंद किया गया और अब इसकी बहाली की कितनी संभावना है। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि रेलवे वरिष्ठ नागरिकों के लिए अभी कौन-कौन सी सुविधाएं दे रहा है। ताकि आपके मन में कोई शंका न रहे।
वरिष्ठ नागरिक रेल टिकट छूट:
विवरण | जानकारी | |
---|---|---|
छूट प्रतिशत (पुरुष) | 40% | |
छूट प्रतिशत (महिला) | 50% | |
न्यूनतम आयु (पुरुष) | 60 वर्ष | |
न्यूनतम आयु (महिला) | 58 वर्ष | |
लागू ट्रेनें | मेल, एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, दुरंतो | |
निलंबन तिथि | मार्च 2020 | |
वर्तमान स्थिति | निलंबित |
क्या है वायरल खबर की सच्चाई?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबर में दावा किया जा रहा है कि रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को फिर से टिकट में 50% तक की छूट देना शुरू कर दिया है। कुछ न्यूज़ वेबसाइट्स भी इस खबर को चला रही हैं, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।हालांकि, रेलवे मंत्रालय या IRCTC (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन) की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। IRCTC की वेबसाइट पर भी वरिष्ठ नागरिकों को सामान्य यात्रियों की तरह ही किराया देना होता है।
2019 तक मिलती थी छूट
कोविड-19 महामारी से पहले, भारतीय रेलवे वरिष्ठ नागरिकों को टिकट बुकिंग पर छूट प्रदान करता था। 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुषों को टिकट पर 40% की छूट मिलती थी, जबकि 58 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को 50% की रियायत दी जाती थी। यह छूट मेल, एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों पर लागू थी। इस छूट के चलते वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा करने में काफी आसानी होती थी। उदाहरण के तौर पर, अगर राजधानी एक्सप्रेस के फर्स्ट एसी का टिकट 4,000 रुपये का होता था, तो वरिष्ठ महिला यात्री को यह टिकट 2,000 रुपये और वरिष्ठ पुरुष यात्री को 2,300 रुपये में मिल जाता था।
कोविड-19 में क्यों बंद हुई छूट?
2020 में कोविड-19 महामारी के चलते सरकार ने ट्रेन टिकट पर मिलने वाली छूट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया था। सरकार का तर्क था कि लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों के कारण रेलवे को वित्तीय घाटा हुआ है। लेकिन, अब जब स्थिति सामान्य हो चुकी है, तो वरिष्ठ नागरिकों की मांग है कि छूट को फिर से लागू किया जाए।
बजट 2025 से उम्मीदें
वरिष्ठ नागरिकों को उम्मीद है कि सरकार आगामी बजट 2025-26 में रेलवे टिकट पर छूट की बहाली की घोषणा कर सकती है1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी। अगर सरकार यह छूट फिर से लागू करती है, तो लाखों वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा में राहत मिलेगी और सफर किफायती होगा।
रेलवे का क्या है कहना?
रेल मंत्रालय का कहना है कि वे सभी यात्रियों को पहले से ही भारी छूट दे रहे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में, रेलवे ने यात्री टिकटों पर 59,837 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है। यह प्रति यात्री औसतन 53% की छूट है। हालांकि, मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे वित्तीय स्थिरता और सभी यात्रियों के हितों को भी ध्यान में रखते हैं। इसलिए, निकट भविष्य में वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में छूट मिलने की संभावना कम है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए वर्तमान सुविधाएं
- लोअर बर्थ का प्राथमिकता आवंटन
- व्हीलचेयर सुविधा
- प्लेटफॉर्म टिकट में छूट
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट में छूट मिलने की जो खबर वायरल हो रही है, वह सच नहीं है। रेलवे ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, वरिष्ठ नागरिक आगामी बजट 2025 से इस छूट के फिर से शुरू होने की उम्मीद कर रहे हैं। वर्तमान में रेलवे वरिष्ठ नागरिकों को कुछ अन्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है, जैसे कि लोअर बर्थ का प्राथमिकता आवंटन और व्हीलचेयर सुविधा।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी खबर पर विश्वास करने से पहले आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि कर लें. यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।