ज़मीन रजिस्ट्री के नए नियम 2025: कितनी लगेगी फीस और कौन से दस्तावेज़ हैं जरूरी?

ज़मीन खरीदना एक बड़ा निवेश होता है, और इस निवेश को सुरक्षित रखने के लिए ज़मीन की रजिस्ट्री कराना बेहद ज़रूरी है। रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके द्वारा ज़मीन का स्वामित्व विक्रेता से खरीदार को हस्तांतरित होता है। यदि आप ज़मीन खरीद रहे हैं, तो रजिस्ट्री की प्रक्रिया, ज़रूरी दस्तावेज़, लगने वाले शुल्क और अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। रजिस्ट्री न कराने पर भविष्य में कानूनी अड़चनें आ सकती हैं और आपके स्वामित्व पर सवाल उठ सकते हैं।

इस लेख में, हम ज़मीन की रजिस्ट्री से जुड़ी हर ज़रूरी जानकारी पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हम जानेंगे कि रजिस्ट्री क्या होती है, इसके क्या फायदे हैं, रजिस्ट्री की प्रक्रिया क्या है, कौन से दस्तावेज़ ज़रूरी हैं, और रजिस्ट्री कराने में कितना खर्च आता है। यह जानकारी आपको ज़मीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया को समझने और इसे सही तरीके से पूरा करने में मदद करेगी, जिससे आपका निवेश सुरक्षित रहेगा।

ज़मीन की रजिस्ट्री:

विशेषताजानकारी
परिभाषाज़मीन के स्वामित्व का कानूनी हस्तांतरण
कानूनभारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908
महत्वस्वामित्व का कानूनी प्रमाण, भविष्य में विवादों से बचाव
अनिवार्यता100 रुपये से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति के लिए अनिवार्य
समय सीमानिष्पादन के 4 महीने के भीतर
शुल्कसंपत्ति के मूल्य का 1%, अधिकतम 30,000 रुपये तक
ज़रूरी दस्तावेज़बैनामा (Sale Deed), पहचान प्रमाण, संपत्ति के दस्तावेज़, गवाह

रजिस्ट्री क्या होती है?

रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी संपत्ति का स्वामित्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत की जाती है। रजिस्ट्री कराने से खरीदार को संपत्ति का कानूनी अधिकार मिल जाता है और भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। यदि संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक है तो रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

रजिस्ट्री क्यों ज़रूरी है?

  • कानूनी स्वामित्व: रजिस्ट्री से खरीदार को ज़मीन का कानूनी स्वामित्व मिलता है। रजिस्ट्री के बाद, ज़मीन के मालिक के तौर पर खरीदार का नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है।
  • विवादों से बचाव: रजिस्ट्री कराने से भविष्य में ज़मीन से जुड़े विवादों से बचा जा सकता है। यदि रजिस्ट्री नहीं कराई जाती है, तो विक्रेता बाद में ज़मीन पर अपना दावा कर सकता है।
  • संपत्ति का हस्तांतरण: रजिस्ट्री के बिना, संपत्ति को कानूनी रूप से किसी और को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।
  • कानूनी प्रमाण: रजिस्ट्री एक कानूनी दस्तावेज़ है जो ज़मीन के स्वामित्व का प्रमाण होता है। इसे अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

रजिस्ट्री की प्रक्रिया

  1. बैनामा (Sale Deed) तैयार करना: सबसे पहले, क्रेता और विक्रेता मिलकर तहसील में जमीन खरीदने और बेचने के लिए बैनामा (Sale Deed) तैयार करवाते हैं। यह एक तरह से दोनों पार्टियों (क्रेता-विक्रेता) द्वारा किये गए समझौते का कानूनी विलेख होता है।
  2. मूल्यांकन: संपत्ति का सही मूल्यांकन करवाएं।
  3. स्टाम्प शुल्क का भुगतान: राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर पर स्टाम्प शुल्क का भुगतान करें।स्टाम्प शुल्क भरने के लिए ई-स्टांप पेपर एसएचसीआईएल (SHCIL) से खरीदे जा सकते हैं।स्टाम्प ड्यूटी जमीन के मालिक के लिए मालिकाना सबूत के तौर पर होती है।
  4. दस्तावेज़ तैयार करना: स्टांप पेपर खरीदने के बाद दस्तावेज लेखक से इन्हें तैयार कराएं। यह दस्तावेज 2 गवाहों की उपस्थिति में बनाया जाए। जरूरी दस्तावेज जैसे- टाइटल डीड की कॉपी, जमाबंदी की कॉपी, संपत्ति का नक्शा, योजना, डिजिटल फोटो आदि जरूर संलग्न करें।
  5. ऑनलाइन पंजीकरण: कई राज्यों में अब ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है। सरकारी पोर्टल पर जाकर आवेदन करें। स्कैन किए गए दस्तावेज अपलोड करें। ऑनलाइन माध्यम से शुल्क का भुगतान करें। दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन होगा। सत्यापन के बाद तारीख तय होगी।
  6. उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थिति: संपत्ति जिस क्षेत्र में स्थित है, वहां के उप-पंजीयक के समक्ष सभी दस्तावेज प्रस्तुत करें। विक्रेता और क्रेता के प्रमाणित हस्ताक्षरकर्ता को दो गवाहों के साथ उपस्थित होना होगा, ताकि दस्तावेजों का पंजीकरण हो सके।
  7. दस्तावेज़ों का सत्यापन: सब-रजिस्ट्रार सभी दस्तावेजों की जांच करेंगे।
  8. बायोमेट्रिक सत्यापन: खरीदार और विक्रेता का बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाएगा। कार्यालय में जाकर सत्यापन कराएं।
  9. गवाहों के हस्ताक्षर: दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। जिनके फोटो, आईडी कार्ड और हस्ताक्षर बैनामा में शामिल किये जाते हैं।
  10. शुल्क भुगतान: पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें। संपत्ति दस्तावेजों का पंजीकरण शुल्क संपत्ति की मूल्य का 1 फीसदी है, जो अधिकतम 30,000 रुपए तक हो सकता है।
  11. डिजिटल हस्ताक्षर: रजिस्ट्रार द्वारा डिजिटल हस्ताक्षर किए जाएंगे।
  12. रसीद प्राप्ति: पंजीकरण की पुष्टि के लिए रसीद प्राप्त करें। रजिस्ट्रार कार्यालय से एक पर्ची मिलती है। हमेशा इस पर्ची को संभालकर रखना चाहिए। पर्ची मिलने का मतलब रजिस्ट्री पूरी हो गई है। अब खरीददारी को संबंधित खरीदी हुई जमीन का मालिकाना हक मिल जाएगा। डिजिटल दस्तावेज: रजिस्ट्रेशन पूरा होने पर डिजिटल प्रमाण पत्र मिलेगा।

ज़रूरी दस्तावेज़

  • बैनामा (Sale Deed)
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड या कोई अन्य सरकारी प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी पहचान पत्र।
  • संपत्ति के पुराने दस्तावेज़ (जैसे टाइटल डीड, जमाबंदी की कॉपी)।
  • संपत्ति का नक्शा और योजना।
  • खरीदार और विक्रेता के फोटो।
  • दो गवाहों के पहचान प्रमाण और फोटो।
  • यदि कोई अन्य व्यक्ति के प्रतिनिधि के रूप में पंजीकरण करवा रहा है, तो उसे अधिकार पत्र (पावर ऑफ अटॉर्नी) भी पेश करना होगा।

रजिस्ट्री शुल्क

संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज का भुगतान करना शामिल है। संपत्ति दस्तावेजों का पंजीकरण शुल्क संपत्ति के मूल्य का 1 फीसदी है, जो अधिकतम 30,000 रुपए तक हो सकता है। स्टाम्प शुल्क भरने के लिए ई-स्टांप पेपर एसएचसीआईएल (SHCIL) से खरीदे जा सकते हैं।

ऑनलाइन रजिस्ट्री

कई राज्य सरकारों ने अब ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा शुरू कर दी है। ऑनलाइन रजिस्ट्री से प्रक्रिया आसान और तेज़ हो गई है। ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए, आपको अपने राज्य के भूमि रिकॉर्ड विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

यदि रजिस्ट्री न कराई जाए तो क्या होगा?

अगर संपत्ति के खरीद समझौते का पंजीकरण नहीं कराया जाता है तो भविष्य में किसी बड़े जोखिम मे आ सकते हैं। कोई भी दस्तावेज जो पंजीकरण के लिए अनिवार्य है, लेकिन पंजीकृत नहीं किया गया है, उसे किसी भी कोर्ट में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष

ज़मीन खरीदना एक महत्वपूर्ण फैसला है, और इसे सुरक्षित बनाने के लिए रजिस्ट्री कराना उतना ही ज़रूरी है। रजिस्ट्री से आपको ज़मीन का कानूनी स्वामित्व मिलता है और भविष्य में होने वाले विवादों से बचाव होता है। इसलिए, ज़मीन खरीदते समय रजिस्ट्री की प्रक्रिया को समझें और सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ इसे समय पर पूरा करें।

Disclaimer: यह लेख विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। रजिस्ट्री की प्रक्रिया, दस्तावेज़ और शुल्क राज्य सरकार के नियमों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने राज्य के भूमि रिकॉर्ड विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी की पुष्टि कर लें।

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