EPS-95 पेंशनर्स दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुटे, पेंशन बढ़ोतरी के लिए बड़ा आंदोलन शुरू

दिल्ली के जंतर-मंतर पर EPS-95 (कर्मचारी पेंशन योजना, 1995) पेंशनर्स का प्रदर्शन जारी है। अपनी मांगों को लेकर पेंशनर्स लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। ये पेंशनर्स अपनी न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी, महंगाई भत्ते और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी पेंशनर्स का कहना है कि वर्तमान में मिल रही पेंशन की राशि महंगाई के इस दौर में जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है, और सरकार को उनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।जंतर-मंतर पर हो रहे इस प्रदर्शन में देश भर से EPS-95 पेंशनर्स शामिल हुए हैं। वे अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विभिन्न पेंशनर्स संगठनों ने भी इस प्रदर्शन का समर्थन किया है और सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है।

इस लेख में हम आपको जंतर-मंतर पर हो रहे प्रदर्शन के ताज़ा अपडेट और EPS-95 पेंशन योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

EPS-95 पेंशन योजना:

विशेषताजानकारी
योजना का नामकर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (Employees’ Pension Scheme, 1995)
संचालककर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation – EPFO)
उद्देश्यसंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्रदान करना
न्यूनतम पेंशन₹1,000 प्रति माह (सरकार द्वारा निर्धारित)
अनिवार्य सदस्यता₹15,000 या उससे कम मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए
पेंशन के प्रकारविधवा पेंशन, अनाथ पेंशन, बाल पेंशन
पेंशन कब शुरू होती हैसामान्य तौर पर 58 वर्ष की आयु में

जंतर-मंतर पर प्रदर्शन: मुख्य मांगें

  • न्यूनतम पेंशन में वृद्धि: पेंशनर्स की सबसे बड़ी मांग न्यूनतम पेंशन को मौजूदा ₹1,000 से बढ़ाकर कम से कम ₹7,500 प्रति माह करना है। उनका कहना है कि ₹1,000 की पेंशन से गुजारा करना मुश्किल है।
  • महंगाई भत्ता (DA): पेंशनर्स अपनी पेंशन के साथ महंगाई भत्ते (DA) को भी शामिल करने की मांग कर रहे हैं, ताकि बढ़ती महंगाई से उन्हें राहत मिल सके।
  • बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ: पेंशनर्स बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की भी मांग कर रहे हैं, क्योंकि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं।

EPS-95 पेंशन योजना:

  • यह योजना संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए है।
  • कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी के वेतन का 12% योगदान करते हैं।
  • कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) में जाता है, जबकि नियोक्ता के योगदान का 8.33% EPS में और 3.67% EPF में जाता है।
  • पेंशन पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करनी होती है।
  • कर्मचारी 50 साल की उम्र से कम दर पर भी पेंशन निकाल सकते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

हालांकि सरकार ने EPS-95 पेंशनर्स की मांगों पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है, लेकिन सरकार इस मामले पर विचार कर रही है। सरकार ने पेंशनर्स के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें की हैं और उनकी समस्याओं को सुनने का आश्वासन दिया है। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस मामले में कोई सकारात्मक कदम उठाएगी। सरकार ने कुछ संशोधन भी किए हैं जिससे 6 महीने से कम सेवा अवधि वाले EPS सदस्यों को भी कुछ लाभ मिल सकेगा। पहले 6 महीने से कम सेवा अवधि होने पर कोई लाभ नहीं मिलता था, पर अब सेवा अवधि के अनुसार आनुपातिक लाभ मिलेगा।

पेंशन की गणना कैसे होती है?

EPS-95 के तहत पेंशन की गणना एक निश्चित फार्मूले के आधार पर की जाती है: मासिक पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन x पेंशन योग्य सेवा अवधि) / 70 यहाँ, “पेंशन योग्य वेतन” का मतलब है कर्मचारी का अंतिम 60 महीनों का औसत वेतन और “पेंशन योग्य सेवा अवधि” का मतलब है EPS में योगदान की अवधि।

निष्कर्ष

जंतर-मंतर पर EPS-95 पेंशनर्स का प्रदर्शन उनकी समस्याओं को उजागर करने और सरकार पर दबाव बनाने का एक प्रयास है। पेंशनर्स अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान देगी और जल्द ही उनकी मांगों को पूरा करेगी। सरकार को इस मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए और पेंशनर्स को राहत प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

Disclaimer: यह लेख विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि EPS-95 पेंशन योजना से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि कर लें।

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