आज के दौर में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है। चाहे आपको पैसे भेजने हों, बिल भरना हो या फिर किसी दुकान पर पेमेंट करना हो, UPI ने सबकुछ चुटकियों में संभव कर दिया है। भारत में करोड़ों लोग रोज़ाना UPI का इस्तेमाल करते हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट्स का सिस्टम बहुत तेज़ और सुविधाजनक हो गया है।
लेकिन, जैसे-जैसे UPI का उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसके सिस्टम पर लोड भी बढ़ता जा रहा है। कई बार देखा गया है कि ज्यादा ट्रांजैक्शन्स और बार-बार बैलेंस चेक करने से सर्वर स्लो हो जाता है या कभी-कभी डाउन भी हो जाता है। इसी वजह से नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 31 जुलाई 2025 से कुछ नए नियम लागू करने का फैसला किया है, जिससे UPI सिस्टम को और ज्यादा सुरक्षित, तेज़ और भरोसेमंद बनाया जा सके।
इन बदलावों का सीधा असर आम यूजर्स, व्यापारियों और उन लोगों पर पड़ेगा जो दिनभर में कई बार बैलेंस चेक या ऑटोपेमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते हैं कि ये नए नियम क्या हैं, क्यों लागू किए जा रहे हैं और आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
UPI Rule Change July 2025
बैलेंस चेक लिमिट | प्रति ऐप, प्रति यूजर, प्रति दिन 50 बार |
लिंक्ड अकाउंट लिस्ट देखना | प्रति ऐप, प्रति दिन 25 बार |
ऑटोपेमेंट (AutoPay) | सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में प्रोसेस होगा |
ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक | एक ट्रांजैक्शन के लिए 2 घंटे में 3 बार |
पीक आवर्स | सुबह 10-1 बजे, शाम 5-9:30 बजे |
बैलेंस अपडेट | हर सफल ट्रांजैक्शन के बाद मिलेगा |
सिस्टम-इनीशिएटेड API लिमिट | पीक आवर्स में बंद या सीमित |
नॉन-फाइनेंशियल API लिमिट | सभी पर लिमिट लागू |
ऑडिट रिपोर्ट | हर साल CERT-In अप्रूव्ड ऑडिटर से जरूरी |
नियम न मानने पर | API ब्लॉक, पेनल्टी, नया कस्टमर ऑनबोर्डिंग रोक |
UPI Rule Change July 2025: मुख्य नियम और उनका असर
NPCI ने 31 जुलाई 2025 से UPI सिस्टम में 10 सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले API (Application Programming Interface) पर लिमिट लगाने का फैसला किया है। ये APIs वो सर्विसेज हैं जिनका यूजर्स सबसे ज्यादा करते हैं, जैसे – बैलेंस चेक करना, ऑटोपेमेंट्स, ट्रांजैक्शन स्टेटस देखना आदि। इन नियमों का मकसद UPI सिस्टम पर लोड कम करना और सभी यूजर्स को बेहतर सर्विस देना है।
UPI के नए नियम क्या हैं? (UPI New Rules Explained)
1. बैलेंस चेक लिमिट
अब कोई भी UPI यूजर एक ऐप से एक दिन में सिर्फ 50 बार ही अपना बैंक बैलेंस चेक कर पाएगा। अगर आप Paytm और PhonePe दोनों यूज़ करते हैं, तो दोनों पर 50-50 बार बैलेंस चेक कर सकते हैं। इससे बार-बार बैलेंस चेक करने की आदत पर कंट्रोल होगा और सिस्टम पर लोड कम होगा।
2. लिंक्ड अकाउंट लिस्ट लिमिट
अब आप एक UPI ऐप में एक दिन में सिर्फ 25 बार ही अपने जुड़े हुए बैंक अकाउंट्स की लिस्ट देख पाएंगे। ये लिमिट इसलिए लगाई गई है ताकि बार-बार अकाउंट लिस्ट देखने से सिस्टम पर अनावश्यक लोड न पड़े।
3. ऑटोपेमेंट्स (AutoPay) के लिए नया नियम
अगर आप Netflix, SIP, बिजली बिल या किसी भी दूसरी सर्विस के लिए UPI ऑटोपेमेंट का इस्तेमाल करते हैं, तो अब ये सर्विस सिर्फ नॉन-पीक आवर्स (Peak Hours के बाहर) ही प्रोसेस होगी। यानी, सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक ऑटोपेमेंट्स प्रोसेस नहीं होंगे। हर ऑटोपेमेंट के लिए एक ही कोशिश और 3 रीट्राई मिलेंगे, वो भी सिर्फ नॉन-पीक टाइम में।
4. ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक लिमिट
अगर आपका कोई ट्रांजैक्शन पेंडिंग या फेल हो जाता है, तो आप उसकी स्टेटस 2 घंटे में सिर्फ 3 बार ही चेक कर सकते हैं। इससे सिस्टम पर बार-बार स्टेटस चेक करने का लोड कम होगा।
5. हर ट्रांजैक्शन के बाद बैलेंस अपडेट
अब हर सफल ट्रांजैक्शन के बाद बैंक या ऐप आपको आपके अकाउंट का बैलेंस खुद भेज देगा। इससे बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत कम हो जाएगी।
6. सिस्टम-इनीशिएटेड API लिमिट
NPCI ने साफ किया है कि जो API रिक्वेस्ट यूजर खुद नहीं करता (जैसे बैंक या ऐप की तरफ से बैकएंड प्रोसेसिंग), वो पीक आवर्स में बंद या सीमित रहेंगी। इससे सिस्टम पर लोड बैलेंस होगा।
7. नियम न मानने पर सख्त कार्रवाई
अगर कोई बैंक या पेमेंट ऐप इन नियमों का पालन नहीं करता, तो NPCI उनके APIs को ब्लॉक कर सकता है, पेनल्टी लगा सकता है या फिर नए कस्टमर जोड़ने पर रोक लगा सकता है।
UPI Rule Change July 2025: क्यों किए गए ये बदलाव?
- सिस्टम पर बढ़ता लोड: पिछले कुछ महीनों में UPI ट्रांजैक्शन्स में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जिससे कई बार सर्वर डाउन या स्लो हो जाता है।
- फ्रॉड और हैकिंग से बचाव: बार-बार बैलेंस चेक या ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करने से फ्रॉड के मामले भी बढ़ सकते हैं।
- सभी को बेहतर सर्विस: NPCI चाहती है कि सभी यूजर्स को बिना किसी रुकावट के तेज़ और सुरक्षित UPI सर्विस मिले।
- सिस्टम अपटाइम और स्टेबिलिटी: लिमिट लगाने से सर्वर हमेशा उपलब्ध रहेगा और ट्रांजैक्शन फेल होने के चांस कम होंगे।
UPI New Rules July 2025: पीक आवर्स (Peak Hours) क्या हैं?
NPCI ने दो टाइम स्लॉट को पीक आवर्स घोषित किया है:
- सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक
- शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक
इन समयों में UPI ट्रांजैक्शन्स सबसे ज्यादा होते हैं, इसलिए इन घंटों में सिस्टम-इनीशिएटेड सर्विसेज (जैसे ऑटोपेमेंट्स, बैकएंड प्रोसेसिंग) पर लिमिट लगाई गई है।
UPI Rule Change July: किन यूजर्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा?
- व्यापारी और फ्रीक्वेंट यूजर्स: जो लोग दिनभर में कई बार बैलेंस चेक या ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करते हैं, उन्हें लिमिट का ध्यान रखना होगा।
- ऑटोपेमेंट यूजर्स: जो लोग Netflix, SIP, ओटीटी, बिजली बिल, मोबाइल रिचार्ज जैसी सर्विसेज के लिए ऑटोपेमेंट्स सेट करते हैं, उन्हें नॉन-पीक टाइम का ध्यान रखना होगा।
- आम यूजर्स: जिनका UPI इस्तेमाल लिमिटेड है, उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बार-बार बैलेंस चेक करने की आदत पर कंट्रोल करना होगा।
UPI Rule Change July 2025 – यूजर्स को क्या करना चाहिए?
- बैलेंस बार-बार चेक करने की आदत बदलें और सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही चेक करें।
- ऑटोपेमेंट्स के लिए नॉन-पीक टाइम सेट करें, ताकि बिल या सब्सक्रिप्शन समय पर कट सके।
- ट्रांजैक्शन स्लो हो या फेल हो, तो घबराएं नहीं – नया सिस्टम जल्दी जवाब देगा।
- रिसीवर का नाम ध्यान से पढ़ें, क्योंकि अब सिर्फ रजिस्टर्ड नाम ही दिखेगा।
- अगर कोई दिक्कत आए तो अपनी बैंक या ऐप की कस्टमर केयर से संपर्क करें।
UPI Rule Change July 2025: नए नियमों के फायदे
- सिस्टम रहेगा तेज़ और सुरक्षित: सर्वर डाउन या स्लो होने की दिक्कत कम होगी।
- फ्रॉड के चांस होंगे कम: असली नाम दिखने से गलत अकाउंट में पैसे भेजने की संभावना घटेगी।
- यूजर एक्सपीरियंस बेहतर: हर ट्रांजैक्शन के बाद बैलेंस मिल जाएगा, जिससे बार-बार चेक करने की जरूरत नहीं।
- बैंकिंग सर्वर पर लोड कम: जिससे ऐप्स क्रैश या हैंग नहीं होंगी।
UPI Rule Change July 2025 – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या पैसे भेजने या रिसीव करने पर कोई लिमिट है?
नहीं, ये लिमिट सिर्फ नॉन-फाइनेंशियल APIs (जैसे बैलेंस चेक, ट्रांजैक्शन स्टेटस, ऑटोपेमेंट्स) पर है। पैसे भेजने या रिसीव करने पर कोई बदलाव नहीं है।
Q2. अगर मैं दो UPI ऐप्स यूज करता हूं तो क्या दोनों पर लिमिट अलग-अलग होगी?
जी हां, हर ऐप पर 50-50 बार बैलेंस चेक कर सकते हैं।
Q3. अगर लिमिट पार हो गई तो क्या होगा?
उस दिन के लिए उस सर्विस का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। अगले दिन लिमिट रीसेट हो जाएगी।
Q4. क्या ऑटोपेमेंट्स पीक टाइम में सेट किए जा सकते हैं?
हां, लेकिन प्रोसेसिंग सिर्फ नॉन-पीक टाइम में होगी।
Q5. क्या इन नियमों से ट्रांजैक्शन फेल होने के चांस बढ़ेंगे?
नहीं, बल्कि सिस्टम पर लोड कम होने से ट्रांजैक्शन फेल होने के चांस कम होंगे।
UPI Rule Change July 2025 – नए नियमों का सारांश (Quick Recap Table)
बदलाव | क्या होगा? |
---|---|
बैलेंस चेक लिमिट | 50 बार/ऐप/दिन |
अकाउंट लिस्ट लिमिट | 25 बार/ऐप/दिन |
ऑटोपेमेंट प्रोसेसिंग | सिर्फ नॉन-पीक टाइम में |
ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक | 2 घंटे में 3 बार/ट्रांजैक्शन |
हर ट्रांजैक्शन के बाद बैलेंस | ऑटोमैटिकली मिलेगा |
नियम न मानने पर | API ब्लॉक, पेनल्टी, नया कस्टमर ऑनबोर्डिंग रोक |
UPI Rule Change July 2025: एक्स्ट्रा टिप्स
- ट्रांजैक्शन करने से पहले रिसीवर का नाम जरूर चेक करें।
- बैलेंस चेक करने के लिए एक ही ऐप का इस्तेमाल करें, जिससे लिमिट जल्दी न खत्म हो।
- अगर आप व्यापारी हैं या बार-बार ट्रांजैक्शन करते हैं, तो लिमिट का ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर बैंक से संपर्क करें।
- अपने UPI ऐप्स को समय-समय पर अपडेट रखें, ताकि नए नियमों का फायदा मिल सके।
निष्कर्ष
UPI के नए नियम 31 जुलाई 2025 से लागू हो जाएंगे, जिनका असर हर उस यूजर पर पड़ेगा जो रोज़ाना डिजिटल पेमेंट्स करता है। बैलेंस चेक, ऑटोपेमेंट्स और ट्रांजैक्शन स्टेटस जैसी सर्विसेज पर लिमिट लगने से सिस्टम पर लोड कम होगा, फ्रॉड के चांस घटेंगे और सभी को बेहतर सर्विस मिलेगी। आम यूजर्स को घबराने की जरूरत नहीं है, बस अपनी आदतों में थोड़ा बदलाव लाएं और नए नियमों का पालन करें। डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते कदमों में ये बदलाव एक जरूरी और सकारात्मक पहल है।
Disclaimer: यह आर्टिकल NPCI द्वारा जारी किए गए नए UPI नियमों पर आधारित है, जो 31 जुलाई 2025 से लागू होंगे। ये नियम पूरी तरह सच हैं और NPCI की ऑफिशियल सर्कुलर के अनुसार सभी बैंकों और पेमेंट ऐप्स पर लागू होंगे। इनका मकसद UPI सिस्टम को सुरक्षित, तेज़ और भरोसेमंद बनाना है। अगर भविष्य में NPCI कोई और बदलाव करता है, तो उसकी जानकारी अलग से दी जाएगी।