PM विश्वकर्मा योजना: 5 लाख कारीगरों को मिलेगा 1,000 करोड़ रुपये का फायदा!

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत, कारीगरों को उनके कौशल को बढ़ाने और आधुनिक उपकरणों से लैस करने के लिए विभिन्न लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। टूलकिट इस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कारीगरों को उनके काम में सहायता प्रदान करता है।

योजना का परिचय

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर 2023 को शुरू की गई।
  • 18 पारंपरिक व्यवसायों को कवर करती है।
  • लक्ष्य: देश भर में 30 लाख लाभार्थियों तक पहुंचना।

पात्रता मानदंड

  • पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार (गुरु-शिष्य परंपरा)।
  • पिछले पांच वर्षों में समान योजनाओं का लाभ न लिया हो।
  • भारत का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  • आवेदक के पास वैध बिजली कनेक्शन होना चाहिए।

टूलकिट का महत्व

टूलकिट कारीगरों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो उन्हें अपने काम में दक्षता और गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है। यह न केवल उनकी उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि उनके उत्पादों की गुणवत्ता भी सुधारता है।

टूलकिट में शामिल उपकरण

  • व्यवसाय-विशिष्ट औजार और उपकरण
  • सुरक्षा उपकरण
  • आधुनिक तकनीक-आधारित उपकरण

टूलकिट प्रोत्साहन

  • प्रत्येक कारीगर को ₹15,000 तक का टूलकिट प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  • यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेजी जाएगी।
  • टूलकिट प्रोत्साहन बुनियादी प्रशिक्षण के समय कौशल सत्यापन के बाद प्रदान किया जाएगा।

योजना के अन्य लाभ

  1. प्रमाणपत्र और पहचान पत्र:
    • “विश्वकर्मा प्रमाणपत्र” और “विश्वकर्मा पहचान पत्र” प्रदान किया जाएगा।
    • यह नौकरी के साक्षात्कार में उनके कौशल को प्रमाणित करेगा और आत्मसम्मान बढ़ाएगा।
  2. ऋण सहायता:
    • बिना गारंटी के उद्यम विकास ऋण।
    • पहली किश्त: ₹1 लाख तक (18 महीने की चुकौती अवधि)।
    • दूसरी किश्त: ₹2 लाख तक (30 महीने की चुकौती अवधि)।
    • 5% की रियायती ब्याज दर।
  3. कौशल उन्नयन:
    • 5-7 दिनों का बुनियादी प्रशिक्षण।
    • उन्नत प्रशिक्षण 15 दिनों तक का हो सकता है।
    • प्रशिक्षण अवधि के दौरान ₹500 प्रति दिन का वजीफा।
  4. डिजिटल लेनदेन प्रोत्साहन:
    • प्रति लेनदेन ₹1 का प्रोत्साहन (अधिकतम 100 लेनदेन प्रति माह)।
  5. विपणन सहायता:
    • गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, विज्ञापन, प्रचार और अन्य विपणन गतिविधियों के लिए ₹250 करोड़ का आवंटन।

कवर किए गए व्यवसाय

  1. लकड़ी आधारित:
    • बढ़ई (सुथार)
    • नाव निर्माता
  2. लोहा/धातु आधारित:
    • लुहार
    • हथौड़ा और टूल किट निर्माता
    • ताला बनाने वाला
  3. सोना/चांदी आधारित:
    • सुनार
  4. मिट्टी आधारित:
    • कुम्हार
  1. पत्थर आधारित:
    • मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला
  2. चमड़ा आधारित:
    • मोची/जूता बनाने वाला कारीगर
  3. निर्माण:
    • राजमिस्त्री
  4. अन्य:
    • टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला
    • गुड़िया और खिलौना बनाने वाला (पारंपरिक)
    • नाई
    • माली
    • धोबी
    • दर्जी
    • मछली जाल बनाने वाला

आवेदन प्रक्रिया

  1. आधिकारिक वेबसाइट (https://pmvishwakarma.gov.in/) पर जाएं।
  2. “लॉगिन” विकल्प पर क्लिक करें।
  3. “आवेदक/लाभार्थी लॉगिन” चुनें।
  4. मोबाइल नंबर और कैप्चा कोड दर्ज करें।
  5. आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
  6. “सबमिट” बटन पर क्लिक करें।

आवश्यक दस्तावेज

  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • मतदाता पहचान पत्र
  • बैंक पासबुक
  • आय प्रमाण पत्र
  • कार्यस्थल की तस्वीर

योजना का महत्व

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा टूलकिट योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल उनके कौशल को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें आधुनिक बाजार की मांगों के अनुरूप बनाने में भी मदद करता है। टूलकिट प्रोत्साहन के माध्यम से, कारीगर अपने उपकरणों को अपग्रेड कर सकते हैं, जो उनकी उत्पादकता और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।

इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पारंपरिक कौशल को संरक्षित करते हुए उन्हें आधुनिक तकनीक से जोड़ता है। यह न केवल कारीगरों की आय बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगा।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा टूलकिट योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। यह न केवल उनके कौशल और उत्पादकता को बढ़ाएगी, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाएगी। टूलकिट प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, और अन्य लाभों के माध्यम से, यह योजना भारत के पारंपरिक कला और शिल्प क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगी।

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